Sunday, March 12, 2017

सेक्युलरिज़्म



ओ३म्

सेक्युलर भारत



जन्म लिया जो इस धरती पर कुछ होगी मुझमें अच्छाई।
सदाचार अपनाया मैंने और पाई सच्चाई ।
इस पृथ्वी पर भारत में जो पाया जन्म यह दुर्लभ।
भारत में भी शांत ग्राम है मेरा कर्म क्षेत्र जो भाई ।

स्वर्ग यहीं है मेरे देश में और मैं आज ही ज़िन्दा हूँ।
पर मेरे देश के सेक्युलरिज़्म से मन ही मन शर्मिंदा हूँ।



गई छोड़कर कांग्रेस और साइकिल और यह बसपा भी।
ले आई यूपी और यूके भाजपा का बस्ता भी।
जय जय मोदी हर हर मोदी घर घर मोदी आया है।
उम्मीदों ने पंख खोल कर लोकतंत्र अपनाया है।
भूतकाल के अत्याचार और दुराचरण से मेरा दिल घबराया है।
मैंने अपनी छाती पर अन्याय का ख़ंज़र खाया है ।

मैं कुशासन अन्याय के पोषक संविधान पर मन ही मन शर्मिंदा हूँ।
लगता है मैं क्यूकर अब भी सेक्यूलरिज़्म में ज़िन्दा हूँ।

मेरी कथा जो जेल सही है और पापों से था मैं दूर सुनो।
कद्दावर शातिर अपराधी थे मेरे चारों ओर सुनो।
फिर मुझे पापों का भाई क्यूँ कर ऐसा दंड मिला ।
क्यूँ निरपराधी जनता सहती है,  है जो अत्याचार खिला।
आज वजह है मूरख काले अंग्रेजों के कारण की।
३४ हज़ार काले उन नकल वाले क़ानून भयावह की।


सब लोगों से मैं हूँ बहुत दूर और आज जेब से मंदा हूँ।
इसीलिए मैं सेक्रुलरिज़म के फ़ंडे से शर्मिंदा हूँ।

इसीलिए हूँ शर्मिंदा और साम्प्रदाय जातिवाद से भी शर्मिंदा हूँ।

यह चीन बौद्ध है ब्रिटेन है क्रिश्चियन और पाक है मुस्लिम जी।
और अपना भारत न हिंदुस्तान है और न ही यह इंडिया जी।
सेकुलर भारत सेकुलरिज़्म भारत की हो गई पहचान है क्यूँ।
भारत तेरे लोगों की पहचान यहाँ पर खो गई क्यूँ ।

मन ही मन मैं सेक्युलरिज़्म की करता भाई निन्दा हूँ।
सेक्युलरिज़्म के फ़ंडे भाई तुझ से ही शर्मिंदा हूँ ।

ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन्
(स्वरचित)

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